Varanasi news:बनारस में इस जगह बनेगी राज्य की पहली Aerocity, इतने करोड़ की है परियोजना

The state's first Aerocity will be built at this place in Banaras, the project is worth so many crores.
 
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आवास विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता केसी श्रीवास्तव ने बताया कि 500 से एक हजार एकड़ जमीन पर नई टाउनशिप विकसित करने की योजना है। इसके लिए चार स्थानों का चयन किया गया है। स्थान निर्धारण के लिए शासन की टीम जल्द ही वाराणसी आएगी।

न्यू काशी की तर्ज पर बसाई जाएगी टाउनशिप

दरअसल, अमृत योजना के तहत विकास प्राधिकरण को वाराणसी शहर से थोड़ी दूरी पर नई काशी के रुप में टाउनशिप विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मगर, लैँड पूलिंग सहित अन्य विकल्पों पर वीडीए को सफलता नहीं मिली तो उसने यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी।

बृहद वाराणसी की परिकल्पना के बाद अब आवास विकास ने न्यू काशी की तर्ज पर एक हजार एकड़ में टाउनशिप बसाने की योजना पर काम शुरू किया है।

टाउनशिप में अलग अलग क्षेत्र होंगे अधिसूचित

आवास विकास परिषद की ओर से बसाई जाने वाली टाउनशिप में अलग अलग क्षेत्र अधिसूचित किए जाएंगे। इसमें करीब 500 एकड़ को आवासीय क्षेत्र के लिए विकसित किया जाएगा। इसमें विकासकर्ताओं की मदद से बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की भी योजना है।

इसके अलावा कुछ इलाकों में भी भूखंड भी आवंटित किए जाएंगे। इसके साथ ही 500 एकड़ में होटल, मॉल, रेस्टोरेंट सहित अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए जमीनें मुहैया कराई जाएंगी।

नव्य अयोध्या की तरह होगी नव्य काशी

अयोध्या के पास बस रही नव्य अयोध्या में टाउनशिप बसाने की योजना पर काम शुरू किया गया है। इसी तर्ज पर आवास विकास अपनी इस योजना को नव्य काशी के रुप में विकसित करेगा।

जमीन अधिग्रहण के बाद आवास विकास बड़े विकासकर्ताओं और बिल्डर्स को पीपीपी मॉडल पर जमीनें उपलब्ध कराएगा। इसमें बहुमंजिला इमारतों में 60-40 या 50-50 फीसदी पर आवास विकास जमीनों पर आवासीय योजना तैयार करेगा। इसी मॉडल पर परिषद अपने खर्च हुई धनराशि की भरपाई करेगा।

काशी विश्वनाथ मॉडल से किसानों से होगी वार्ता

आवास विकास परिषद अपनी इस योजना में काशी विश्वनाथ धाम के मॉडल को भी अपनाएगा। शहर में करीब 700 से ज्यादा संपत्तियों को मंदिर प्रशासन ने वार्ता के आधार पर प्राप्त किया था।

इसमें बिना किसी विवाद के कम समय में परियोजना को धरातल पर उतारा गया था। इसके बाद वाराणसी में रोपवे परियोजना में अधिग्रहण की बजाय आम सहमति से जमीनों को लिया जा रहा है।

आवास विकास परिषद भी करीब एक हजार एकड़ जमीन में इसी मॉडल पर काम करने की तैयारी में है।