Women's Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल पास! राहुल गांधी समर्थन में...देखिये बिल पर किसने क्या कहा
Women's Reservation Bill: लोकसभा में सुबह से ही महिला बिल आरक्षण को लेकर लंबी बहस चलिम उसके बाद आखिरकार महिला आरक्षण बिल बुधवार शाम को पास हो गया। आपको बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में कुल 454 वोट पड़े। लोकसभा में ये बिल दो तिहाई बहुमत से पास हुआ है। बता दें कि इसके विरोध में केवल 2 वोट ही पड़े हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि संविधान संशोधन के लिए सदन की संख्या के दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। जबकि किसी नॉर्मल बिल को पास कराने के लिए सदन में 50 फीसदी से ज्यादा सदस्य मौजूद होने चाहिए। उसका दो तिहाई बहुमत से उसे पारित किया जाना चाहिए। लेकिन ये संविधान संशोधन विधेयक था, लिहाजा कांग्रेस के साथ अन्य विपक्षी दलों ने भी सरकार का साथ दिया। हालांकि कुछ लोगों ने विरोध जताया लेकिन सरकार के साथ खड़े दिखाई दिए।
अखिलेश यादव ने कहा महिला आरक्षण विधेयक 'आधा अधूरा'
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सवाल उठाते हुए इसे आधा-अधूरा विधेयक करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू की है। जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएंगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है। ये आधा-अधूरा विधेयक ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी।’’
वही समाजवादी पार्टी की सदस्य डिंपल यादव ने बुधवार को लोकसभा में सरकार से आग्रह किया कि महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रावधान वाले ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ में अनुसूचित जाति और अनुसूसित जनजाति (एससी/एसटी) के साथ ही अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) तथा अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं के लिए अलग कोटा निर्धारित किया जाए। डिंपल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘तीन तलाक’ की बात की और ऐसे में उनसे उम्मीद की जाती है कि आरक्षण विधेयक में अल्पसंख्यक महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से लोकसभा सदस्य डिंपल ने यह सवाल भी किया कि चुनाव से ठीक पहले सरकार को महिलाओं की याद क्यों आई? उन्होंने यह सवाल किया, ‘‘क्या आरक्षण अगले लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में लागू हो पाएगा या नहीं?
स्मृति ईरानी ने विपक्ष को घेरा
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में संबोधन दिया। उन्होंने कहा, "जब यह बिल लाया गया तो कुछ लोगों ने कहा कि यह "हमारा बिल" है...प्रस्तावित बिल के एक लेख में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि "तीसरे आम चुनाव में SC/ST की महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं होगी...लेकिन इस सरकार द्वारा लाया गया बिल इस बिल के लागू होने के 15 साल बाद तक महिलाओं को आरक्षण की गारंटी देता है।" ईरानी ने कहा,."हमने महिलाओं को गिनने लायक बना दिया है। और अब समय आ गया है कि आप आगे आएं, और अपने शब्दों को केवल कागजों या भाषण तक ही सीमित न रखें, बल्कि कार्रवाई के साथ बोलें और नारी शक्ति वंदन अधिनियम का समर्थन करें।"
TMC सांसद शत्रुघ्न ने कहा देर से आया है, लेकिन दुरुस्त आया
महिला आरक्षण बिल पर TMC सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि विपक्ष बिल्कुल साथ है। इस बिल के लिए सबसे पहले हमारी नेता ममता बनर्जी ने आवाज उठाई थी। यह बिल देर से आया है, लेकिन दुरुस्त आया है। इसमें पेंच बहुत हैं इसलिए बहुत अधिक समर्थन देते हुए भी कुछ लोग बहुत उत्साहित नहीं है और जिस तरह से हम चाह रहे थे उस तरह से भी नहीं आ रहा है।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी: 'ओबीसी और मुस्लिम विरोधी है ये बिल'
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महिला आरक्षण बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार केवल 'सवर्ण' महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है। इस बिल से ओबीसी महिलाओं और मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर असर पड़ेगा। यह महिलाओं को धोखा देने वाला बिल है, ओबीसी विरोधी, मुस्लिम विरोधी बिल है। उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिम महिलाएं इस बिल से पक्षपातपूर्व रवैए का शिकार होंगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ 'बड़े' लोगों के लिए सोच रही है। ये लोग नहीं चाहते कि 'छोटे' लोग इस सदन का नेतृत्व करें। ये बिल संसद में मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए दरवाजे बंद करने वाला है। उन्होंने कहा कि इस बिल से भविष्य में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व कमजोर होगा, जबकि 'सवर्णों' को बढ़ावा मिलेगा। ये देश के लिए घातक है।
लोकसभा में राहुल गांधी ने किया महिला आरक्षण बिल का सपोर्ट
लोकसभा में राहुल गांधी ने कहा आरक्षण के बिना महिला आरक्षण बिल अधूरा'। कांग्रेस सांसद ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है। इस बिल को तुरंत ही लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि इसे लागू करने के लिए नहीं बनाया गया, बल्कि इसे अदाणी मुद्दे और जाति जनगणना के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए लाया गया। राहुल गांधी लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस में बोलते हुए कहा कि मेरे विचार में एक बात है जो इस बिल को अधूरा बनाती है, मैं चाहता हूं कि इस बिल में ओबीसी आरक्षण को भी शामिल किया जाए।
राहुल गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लिया और आखिर में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया। इसके बाद लोकसभा में सत्तापक्ष की तरफ से शोर होने लगा। तब राहुल गांधी ने कई बार सत्तापक्ष के सदस्यों से कहा- डरो मत, डरो मत, डरो मत। एक बार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें इसके लिए टोका भी कि इस तरह के शब्दों का प्रयोग उचित नहीं है।
राहुल गांधी के भाषण के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन की बारी आई। जैसे ही वे बोलने के लिए खड़े हुए, अब विपक्ष की ओर से शोर होने लगा। इस पर अमित शाह ने भी चुटकी लेते हुए कहा- डरो मत, भागो मत। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि महिला आरक्षण बिल युग बदलने वाला विधेयक है। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।
उन्होंने ने कहा, ''सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने भूमिका बनाना शुरू कर दी है कि इसे समर्थन मत करो क्योंकि परिसीमन की बात कही जा रही है। इसका समर्थन मत करो क्योंकि मुस्लिम आरक्षण नहीं है। ...मेरा उनसे कहना है कि समर्थन नहीं करोगे तो क्या जल्दी आरक्षण आ जाएगा? तब भी तो 2029 के बाद आएगा। एक बार श्रीगणेश तो करो। गणेश चतुर्थी के दिन यह विधेयक आया है। एक बार शुरुआत तो करो।''
अमित शाह ने कहा कि दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी तीन स्वरूप हैं देवियों के मां दुर्गा शक्ति स्वरूपा हैं, सरस्वती विद्या औऱ मां लक्ष्मी वैभव का स्वरूप हैं। इन तीनों स्वरूपों ने हमारे पुर्खों ने मां की ही कल्पना की है। उन्होंने नाम लिए बिना कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी जड़े भारत से नहीं जुड़ी है।
जानिए क्या है परिसीमन कमीशन?
अमित शाह ने परिसीमन कमीशन को लेकर कहा कि ये हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया को निर्धारित करने वाली एक महत्वपूर्ण इकाई का कानूनी प्रावधान है। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ट जज करते हैं। इसमें चुनाव आयोग के प्रतिनिधि भी होते हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि होते हैं। इसके कानून के तहत सभी मान्य राजनीतिक दलों के एक-एक सदस्य उस समिति के सदस्य होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर एक तहाई सीटों का रिजर्वेशन करना है तो ये कौन तय करेगा। उन्होंने कहा कि परिसीमन आयोग क्वासा ज्यूडिशयल हर राज्य में जाकर पारदर्शिता से इसका नीति निर्धारण करत है।
अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों ने आज सोशल मीडिया पर भूमिका बनाना शुरू किया है। कुछ लोग कह रहे हैं कि इस विधेयक का समर्थन मत करो, क्योंकि इमसें ओबीसी, मुसलमानों का आरक्षण नहीं है। लेकिन मैं कहता हूं कि क्या आप समर्थन नहीं करोगो तो क्या जल्दी आरक्षण आ जाएगा। ये 2029 के बाद आएगा। अगर समर्थन कर दिया तो एक गारंटी हो गई। फिर जो सरकार आएगी, जो बदलाव करेगी वो भी शामिल होगा। एक बार श्रीगणेश तो करो।