अगर आपकी गर्दन के आस-पास दिखते हैं काले धब्बे या छोटे मस्से, हो सकता है इस बीमारी का संकेत... 

अगर गर्दन जिसे त्वचा टैग भी कहा जाता है
 

तिल और मस्से, सामान्य टाइप की स्किन ग्रोथ होती है। ये अक्सर छोटे, गहरे भूरे रंग के धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं और पिगमेंटेड कोशिकाओं के समूहों के कारण होते हैं। तिल और मस्से आमतौर पर बचपन और किशोरावस्था के दौरान दिखाई देते हैं। अधिकांश लोगों के शरीर में इनकी संख्या 10 से 40 के बीच होती है। इनमें से कुछ वक्त बीतने के साथ धूमिल होते जाते हैं।

ज्यादातर तिल या मस्से हानिकारक नहीं होते हैं। लेकिन बहुत ही दुर्लभ मामलों में वे कैंसर बन सकते हैं। ज्यादातर डॉक्टर मेलेनोमा (Melanoma) की जांच के लिए मस्सों और स्किन के गहरे रंग वाले पैच की जांच करते हैं। वैसे बता दें कि मेलेनोमा को स्किन कैंसर का सबसे घातक प्रकार माना जाता है।

वैसे शरीर पर बने काले / भूरे छोटे धब्बे को तिल कहते हैं। वहीं, उभरे हुए निशान को मस्सा कहा जाता है। मेडिकल भाषा में अकेले मस्से को नेवस (Nevus) कहा जाता है। लेकिन जब इनकी संख्या काफी बहुत होती है तो, बहुवचन में इसे नेवी (Nevi) कहा जाता है।

अगर आपकी गर्दन के आस-पास छोटे मस्‍से जिसे त्वचा टैग भी कहा जाता है और काली झााइयां या धब्‍बे दिखाई देते हैं तो बहुत अधिक संभावना है कि आपको डायबिटीज का खतरा हो। गर्दन पर त्वचा के टैग और झाइयां इंसुलिन रेजिस्‍टेंटस के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं जो आगे चलकर आपको डायबिटीज के खतरे में डाल सकते हैं।

त्वचा के टैग ब्‍लड में हाई ट्राइग्लिसराइड्स से भी संबंधित हैं जो फिर से डायबिटीज और हार्ट रोगों से जुड़ा होता है। जी हां अक्सर, शरीर की आंतरिक समस्या के लक्षण बाहरी रूप से दिखाई देते हैं।

एक पोषण कंपनी हेल्थ हैच की एक्‍सपर्ट निहारिका बुधवानी ने हाल ही में इससे जुड़ा एक वीडियो अपने इंस्‍टाग्राम के माध्‍यम से शेयर किया है। इसके कैप्‍शन में उन्‍होंने लिखा, 'गर्दन के पीछे और अंडरआर्म्स पर त्वचा टैग या ब्लैकिश पिग्मेंटेशन इंसुलिन रेजिस्टेंस के बढ़ाने से जुड़ा हो सकता है और इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।'

आगे उन्‍होंने लिखा, क्या आपके पास गर्दन और अंडरआर्म्स पर ये काले और छोटे मस्‍से हैं? शोध के अनुसार आपको इंसुलिन रेजिस्‍टेंटस या हाइपरट्राइग्लिसराइडिमिया हो सकता है।' इसे रोकने के तरीकों के बारे में जानने से पहले आइए सबसे पहले समझते हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है?

जब आप खाना खाती हैं, तो वह पच जाता है और ग्लूकोज में टूट जाता है, इंसुलिन एक हार्मोन है जो हाई ब्‍लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। आप इंसुलिन रेजिस्टेंस से पीड़ित हैं,

आपके शरीर की सेल्‍स जारी होने वाले इंसुलिन के लिए अच्छी तरह से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, अब जो ग्लूकोज टूट गया है वह सेल्‍स में प्रवेश नहीं कर सकता है और इसलिए यह ब्‍लड में बनता है और अंततः टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनता है।

इंसुलिन ग्लूकोज तेज को उत्तेजित करता है, लिपोजेनेसिस बढ़ाता है, और लिपोलिसिस को रोकता है, इस प्रकार डायबिटीज के बढ़ते जोखिम और ब्‍लड में लिपिड, विशेष रूप से ट्राइग्लिसराइड्स में वृद्धि होती है।

इंसुलिन केराटिनोसाइट्स और मेलानोसाइट्स को भी उत्तेजित करता है, इस प्रकार डार्क स्किन और स्किन टैग देता है। इसलिए रोगियों में इंसुलिन रेजिस्टेंस का जल्द पता लगाना आगे की स्वास्थ्य जटिलताओं को रोकने में एक आवश्यक भूमिका निभा सकता है। 

यहां अपने डाइट पर काम करना सबसे महत्वपूर्ण बात है - चीनी, ब्रेड, बेकरी प्रोडक्‍ट्स जैसे प्रोसेस्‍ड फूड्स को सीमित करें। साबुत अनाज और अनाज जैसे दलिया, बाजरा, ज्वार, छोले, राजमा आदि का विकल्प चुनें। अपनी डाइट में हर रोज विभिन्न प्रकार के फल, मौसमी लोकल फलों और सब्जियों की 3-4 सर्विंग्स शामिल करें। 

हर एक भोजन में प्रोटीन शामिल करें। नट्स और बीजों जैसे गुड फैट को शामिल करें और रिफाइंड तेलों का सेवन सीमित करें। कोल्ड प्रेस ऑयल का विकल्प चुनें। अपने लंच और डिनर में 1-2 कप सलाद जरूर शामिल करें।

चेरी और बेरीज जैसे कुछ फल एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं और आपके एचबीए1सी को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। लो ग्लाइसेमिक डाइट को फॉलो करें।