हिंदी दिवस 2023: हिंदी दिवस पर पढ़िए युवा कवित्री ऐश्वर्य राज की ये रचना

 
जब तक हम नासमझ होते हैं, दुनियादारी की कोई समझ नहीं होती तब तक माँ की पल्लू पीछे छिपते रहते हैं। लेकिन हमें सँवारने में अपना सुख-चैन गँवा देती है वही माँ तब हमें बेकार लगने लगती है जब हमें दुनिया भर की समझ आ जाती है। अफ़सोस.. आज हिंदी का भी यही हाल है।


                कविता

सुना है आज हिन्दी दिवस है,
तभी आज वो भी हिन्दी पर ज्ञान दे रहे हैं:

जो हिन्दी में 'कुत्ता' सुन काटने दौड़ते हैं
इंग्लिश में 'यू डॉगी' सुन इतराकर जीभ निकालते हैं

जो हिन्दी में 'बच्चा' सुन भड़कते हैं
इंग्लिश में 'माय बेबी' सुन शर्माते हैं

जो हिन्दी में 'पागल' सुन भड़कते हैं
इंग्लिश में 'यू आर मैड/क्रेजी' सुन खुश होते हैं

जो हिन्दी में 'पिताजी' बोलने में हिचकिचाते हैं
इंग्लिश में 'यो पोप्स' कहकर इतराते हैं

जो हिंदी में 'भाई' सुन पिछड़ा समझते हैं
इंग्लिश में 'हेय ब्रो' कहने पर हाथ हिलाते हैं
जो अच्छी भली 'दीदी' को 'दीदा' बुलाते हैं

जो हिन्दी में बोलने वाले को लो क्लास समझते हैं
टूटी-फूटी इंग्लिश वाले को भी 'स्वेग सैलूट' देते जाते हैं

जो साल भर किसी का मज़ाक बनाने को
'हिन्दी करना' कहते हैं
वो भी देखो आज हिन्दी का बाल्टी भर-भरकर ज्ञान देते हैं

अच्छा सुनो! हिन्दी दिवस की शुभकामनायें।