Varanasi BHU: 12वीं पास कर रही थी BHU अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का इलाज, पकड़े गए फर्जी इंटर्न

Varanasi BHU: 12th pass was treating pregnant women in BHU hospital, fake interns caught
 

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण फर्जी इंटर्न गर्भवती महिलाओं का इलाज कर रही थी। ओटी टेक्नीशियन और नर्सिंग स्टाफ भी डॉक्टर बनकर घूम रहे थे। इसका खुलासा पकड़े गए फर्जी इंटर्न ने खुद किया है। सबने अपनी गलती मानी और कहा कि रुपये के लालच में फंसकर डॉक्टरों (एमबीबीएस उत्तीर्ण) की जगह ड्यूटी करने का फैसला किया।


फर्जी इंटर्न की इस खुलासे से सीनियर डॉक्टर हैरान दिखे। फर्जी इंटर्न ने एमसीएच विंग में भी ड्यूटी की है, जहां कि गंभीर मरीज आते हैं। अब पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। छानबीन में और सच सामने आएगा।  अस्पताल के डॉक्टरों डॉ नितिन, डॉ शुभम, डॉ सौमिक डे और कृति अरोड़ा के नाम पर फर्जी इंटर्न बनकर इलाज व जांच करने वाले आरोपियों की पहचान मोहित, अभिषेक सिंह और प्रीति चौहान के रूप में हुई है।


डॉक्टर कृति की जगह ड्यूटी कर रही थी प्रीति


इनमें से प्रीति चौहान इंटरमीडिएट उत्तीर्ण है। अब जीएनएम की पढ़ाई कर रही है। एमबीबीएस की पढ़ाई से दूर-दूर का नाता नहीं है, फिर भी ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी में डॉक्टर बनकर ड्यूटी की है। पांच दिनों तक इमरजेंसी में रही और मरीजों को देखकर जांच के लिए पर्चा लिखकर भेजा। प्रीति ही डॉक्टर कृति की जगह ड्यूटी कर रही थी। इसी तरह दबोचे गए मोहित व अभिषेक की पढ़ाई भी सामान्य है। दोनों का एमबीबीएस की पढ़ाई से कोई वास्ता नहीं है।     


नर्सिंग स्टाफ से मिली जानकारी तो सक्रिय हुआ प्रॉक्टोरियल बोर्ड

बीएचयू अस्पताल में तैनात एक नर्सिंग स्टाफ को जब शक हुआ तो उसने पहले अस्पताल के सुरक्षा कार्यालय में आकर जानकारी दी। इसके बाद ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड सक्रिय हुआ। नर्सिंग स्टाफ की मदद से ही तीनों फर्जी इंटर्न पकड़े गए। इसके बाद सभी को सुरक्षाधिकारी कार्यालय लाया गया। यहां तीनों ने एक-एक कर अपनी गलती स्वीकारी और बताया कि बस वह बेरोजगार थे, इसलिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया। 
कभी मुलाकात नहीं हुई, डिजिटल होता रहा लेनदेन
पकड़े गए फर्जी इंटर्न ने सुरक्षाधिकारी कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में बताया कि जिन लोगों की जगह वे अस्पताल में डॉक्टर बनकर सेवा दे रहे थे, उसमें से किसी से कभी मुलाकात भी नहीं हुई। बस उनके द्वारा बताई गई ड्यूटी की। भुगतान डिजिटल होता था। जो पैसा होता था, वह सीधे बैंक खाते में भेज दिया जाता था। इसके लिए पहले से ही क्यूआर कोड सहित भुगतान संबंधी अन्य जरूरी औपचारिकताएं भी ऑनलाइन ही पूरी कराई गईं थीं।

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नौकरी डॉट कॉम पर आया नंबर तो डॉक्टर ने किया संपर्क
पकड़े गए दोनों युवकों ने बताया कि वह बेरोजगार थे और पैसों की जरूरत थी, इसलिए नौकरी डॉट कॉम पर अपना मोबाइल नंबर डाला था। आईएमएस बीएचयू के जो इंटर्न थे, उन्होंने यही नंबर देखकर संपर्क किया। उन्होंने बीएचयू में अपनी जगह डॉक्टर बनकर ड्यूटी करने की बात कही और हर दिन के हिसाब से भुगतान देने का आश्वासन दिया। डॉक्टर नितिन नाम के एक युवक ने ही बीएचयू अस्पताल में नौकरी के लिए बुलाया था। इसके बाद परिसर आए और नितिन के बताने के बाद अपनी ड्यूटी देनी शुरू कर दी।

पकड़े फर्जी इंटर्न की जुबानी


पकड़े गए आरोपियों को शनिवार को सुरक्षाधिकारी कार्यालय लाया गया, जहां सबने एक-एक करके सच बताया। इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई है। आरोपी मोहित ने बताया कि वह वाराणसी के कैथी स्थित डॉ विजय कॉलेज ऑफ  फार्मेसी से डीफार्मा सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रहा है। आईएमएस बीएचयू के तीन डॉक्टरों के नाम पर फर्जी इंटर्न बनकर इमरजेंसी, ओपीडी में ड्यूटी की है।

डॉक्टर बनकर मरीजों की जांच की और इलाज भी किया। एक साल तक डॉ. शुभम व डॉ नितिन के नाम पर ड्यूटी की थी। जनवरी से डॉ. सौमिक के नाम पर ड्यूटी कर रहे हैं। पहले दिन ओपीडी में इलाज करने गया था। वहीं से पकड़ लिया गया।

डॉक्टरों के नाम पर बनाते थे हस्ताक्षर

आरोपी अभिषेक सिंह ने बताया कि डॉक्टर जिस जगह बताते थे, वहां पहुंचकर ड्यूटी करते थे। रजिस्टर में हस्ताक्षर भी डॉक्टरों का ही बनाते थे। अंग्रेजी में उनके नाम की स्पेलिंग बिल्कुल उसी तरह लिखते थे, जिससे कि गलती पकड़ में न आए। इसकी प्रैक्टिस की थी। जो डॉक्टर व इंटर्न ड्यूटी पर आते थे, उनसे हालचाल होता था, इसलिए कोई पहचान नहीं पाता था। मेडिकल ऑफिसर तक नहीं पहचानते थे।

ड्यूटी के बदले मिलता है 800 रुपये
आरोपी प्रीति चौहान ने बताया कि वह बीएचयू ट्रामा सेंटर में डॉ. कीर्ति अरोड़ा की जगह ड्यूटी करती थी। रेड जोन में आने वाले मरीजों का पर्चा देखकर जांच लिखती थी। इसके लिए डॉ. कीर्ति ने उसे 800 रुपये देने की बात कही थी। ट्रामा सेंटर में 14 जनवरी से 18 जनवरी तक ड्यूटी की, लेकिन इस काम के पैसे अभी तक नहीं मिले हैं। प्रीति ने नर्सिंग (जीएनएम) का कोर्स किया है, लेकिन डॉक्टर बनकर घूम रही थी।  


 
 सतर्कता बरतनी जरूरी


बेहतर इलाज का सपना लेकर आने वाले मरीजों के लिए यह सतर्क करने वाली खबर है। एमसीएच विंग में भी इंटर उत्तीर्ण ने गर्भवती महिलाओं का इलाज किया है। इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों का इलाज कोई चिकित्सक नहीं, बल्कि ओटी टेक्नीशियन कर रहा था। अस्पताल प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लग सकी।