जनजाति किसे कहते हैं? भारतवर्ष की जनजाति की बुनियादी विशषेताओं का वर्णन करो?
What is a tribe called? Describe the basic characteristics of the tribes of India?
जनजाति शब्द संस्कृत शब्द "जन" और "जाति" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है "लोगों का जाति" या "लोगों की समुदाय"। जनजातियों का उद्भव विभिन्न भूमिकाओं, भाषाओं, संस्कृतियों और आदिवासी चिन्हों के कारण होता है।
जनजातियाँ भारत के विभिन्न भागों में पाई जाती हैं और इनमें अनेक छोटे और बड़े समुदाय होते हैं। कुछ प्रमुख जनजाति समुदायों में गोंड, संथाल, भील, मीना, ओरांग, मुंडा, नागा, लाडा, बाघेलखंडी, खोंड, गढ़वाली, काशी, निचड़ी, ओरीया, वनवासी आदि शामिल हैं।
जनजातियों की संख्या, संरचना, जीवनशैली, रहन-सहन, और राजनीतिक स्थिति भारतवर्ष के अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न होती हैं। इन समुदायों की संरचना में आदिवासी जाति गोत्र, परंपरा, मान्यताएं, और समाजिक संगठन का महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनकी जीवनशैली में खेती, वन्य जीवन, और जलवायु के अनुसार आधारित रहती है।
जनजातियों की संरचना, संस्कृति, और ऐतिहासिक महत्व का अध्ययन जनजाति विज्ञान (एथनोलॉजी) के अंतर्गत किया जाता है। भारतीय संविधान में जनजातियों को आर्थिक, सामाजिक, और पॉलिटिकल उन्नति के लिए संरक्षण और सम्मान का प्रबंधन किया गया है। इन्हें संविधानीय रूप से स्थानीय स्तर पर पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से भी सशक्तिकरण किया जाता है। भारतवर्ष की जनजाति की बनिुनियादी विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित तत्वों पर आधारित होता है:
1. आदिवासी चिन्हों और परंपराओं का महत्व: जनजातियाँ आपने खुद को उनकी आदिवासी चिन्हों, परंपराओं, और स्थानिक संस्कृतियों से जोड़ती हैं। यह चिन्ह उनकी विशेष पहचान होती है और उनके सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
2. आदिवासी भूमि और संप्रदायिक संगठन: जनजातियाँ अक्सर अपने धर्म, भाषा, और संप्रदायिक संगठनों के माध्यम से संगठित होती हैं। इन संगठनों का उद्देश्य समुदाय की रक्षा, अपनी मान्यताओं और संस्कृति की संरक्षण, और सामाजिक-आर्थिक विकास की उन्नति होती है।
3. ग्रामीण आधारित जीवनशैली: जनजातियाँ अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में बसी होती हैं और अपनी आधारभूत जीवनशैली पर आधारित होती हैं। उनकी आर्थिक गतिविधियाँ कृषि, खेती, मात्स्यिकी, और वन्य जीवन पर आधारित होती हैं।
4. सामाजिक और आर्थिक असमानता: जनजातियों को आमतौर पर सामाजिक और आर्थिक असमानता का सामना करना पड़ता है। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, और आर्थिक विकास के क्षेत्र में अवसरों में अंतर्निहिती देखनी पड़ती है।
5. वन संप्रदाय और प्राकृतिक संसाधनों का महत्व: जनजातियाँ अक्सर वनों और प्राकृतिक संसाधनों के सम्पर्क में रहती हैं और उन्हें प्रकृति का महत्व और संरक्षण की जिम्मेदारी का आदर्श मानती हैं।
इन विशेषताओं के संग्रह में, जनजातियाँ अपनी अनुभवों, संस्कृतियों, और परंपराओं के माध्यम से भारतीय समाज में अनमोल एवं विशेष स्थान रखती हैं।