Demonetisation Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को बताया सही जानिए फैसले से जुड़ी 10 बड़ी बातें!
Demonetisation Verdict: Supreme Court rightly told demonetisation, know 10 big things related to the verdict!
supreme court demonetisation judgment today: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिका के मामले में सोमवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने इससे जुड़ी सभी 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने ये भी कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार ने सभी नियमों का पालन किया। छह महीने तक सरकार और आरबीआई के बीच इस मसले को लेकर बातचीत हुई और इसके बाद फैसला लिया गया।
जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक और याचिकाकर्ताओं की दलीलों को विस्तार से सुनने के बाद पिछले सात दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका और कोर्ट के फैसले से जुड़ी दस बड़ी बातें जानते हैं...
A1. 2016 में सरकार ने नोटबंदी का एलान किया था
केंद्र सरकार ने साल 2016 में आठ नवंबर की रात 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद राष्ट्र के नाम संबोधन में इसका एलान किया था। सरकार के इस एलान के बाद देशभर के बैंकों, एटीएम पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई दिखी थीं। लोगों ने पुराने नोट बदलकर नए नोट हासिल करने के लिए काफी जद्दोजहद की थी।
2. नोटबंदी के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल हुईं थीं
सरकार के नोटबंदी के फैसले को विपक्ष ने मुद्दा बनाया। केंद्र सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाए थे। विपक्ष का कहना था कि ये एक तरह का घोटाला है। इसके खिलाफ कोर्ट में 58 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हुईं थीं। इनपर लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने सात दिसंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
3. पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पांच जजों की बेंच ने अहम फैसला सुनाया। जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने इसकी अध्यक्षता की। इस बेंच में जस्टिस नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल रहे।
4. याचिका में क्या दलील दी गई थी?
याचिकाकर्ताओं के वकील की ओर से दलील दी गयी थी कि इस मामले में आरबीआई कानून 1934 की धारा 26(2) का इस्तेमाल किया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदम्बरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिशों पर किया जा सकता है।
6. केंद्र सरकार ने क्या दलील दी थी?
केंद्र सरकार ने इसे अकादमिक मुद्दा बताया था। सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब 'बीते वक्त में लौट कर' कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।
7. कोर्ट ने मांगा था दस्तावेज
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। जिसके बाद सरकार और आरबीआई की तरफ से इस मसले पर सील बंद लिफाफा में दस्तावेज पेश किए गए थे।
8. सरकार और आरबीआई की तरफ से ये भी तर्क दिया गया
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने नोटबंदी की वजहें समझाते हुए कहा था कि नोटबंदी कोई अकेला कदम नहीं था बल्कि एक व्यापक आर्थिक नीति का हिस्सा था, ऐसे में ये संभव नहीं है कि आरबीआई और सरकार अलग-थलग रहकर काम करती रहें। उन्होंने कहा था कि आरबीआई और केंद्र सरकार एक-दूसरे के साथ सलाह-मशविरा करते हुए काम करते हैं।
आरबीआई ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड मीटिंग के दौरान आरबीआई जनरल रेगुलेशंस, 1949 की कोरम (बैठक में एक निश्चित सदस्यों की संख्या) से जुड़ी शर्तों का पालन किया गया। रिजर्व बैंक ने बताया है कि इस बैठक में आरबीआई गवर्नर के साथ-साथ दो डिप्टी गवर्नर और आरबीआई एक्ट के तहत नामित पांच निदेशक शामिल थे। ऐसे में कानून की उस शर्त का पालन किया गया था जिसके तहत तीन सदस्य नामित होने चाहिए।
9. दो दिन बाद रिटायर हो रहे हैं जस्टिस नजीर
नोटबंदी पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस नजीर दो दिन बाद यानी चार जनवरी को रिटायर हो रहे हैं। रिटायरमेंट से पहले उनका ये बड़ा फैसला ऐतिहासिक बताया जा रहा है।
10. अब आगे क्या?
इसे समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा, 'नोटबंदी के बाद से इसको लेकर तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं। अब कोर्ट के आदेश के बाद उम्मीद है कि इसपर राजनीति शांत हो जाएगी।