Sanskrit Research: पाणिनी पर शोध के बहाने संस्कृत पर कब्जा, कहीं ऋषि राजपोपट के शोध की आड़ में संस्कृत को भारत से छीनने का षड्यंत्र तो नहीं हो रहा?

Sanskrit Research: Capture of Sanskrit on the pretext of research on Panini, is there a conspiracy to snatch Sanskrit from India under the guise of Rishi Rajpopat's research?
 
Sanskrit Research: Capture of Sanskrit on the pretext of research on Panini, is there a conspiracy to snatch Sanskrit from India under the guise of Rishi Rajpopat's research?

Sanskrit Research: पाणिनी पर शोध के बहाने संस्कृत पर कब्जा जमाने का यूरोपीय षड़यंत्र विशेषज्ञों के अनुसार महर्षि पाणिनि ने ऐसी कोई गुत्थी नहीं छोड़ी, जिसे कैंब्रिज विवि के छात्र ऋषि राजपोपट ने सुलझा लिया है। कहीं ऋषि राजपोपट के शोध की आड़ में संस्कृत को भारत से छीनने का षड्यंत्र तो नहीं हो रहा?

कैम्ब्रिज हो या ऑक्सफोर्ड, हर साल कई भारतीय छात्र इन विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट करते हैं। लेकिन ऋषि राजपोपट को मिली पीएचडी की डिग्री मामला थोड़ा अलग है। दरअसल, ऋषि ने पाणिनि की अष्टाध्यायी पर शोध करके अपनी थीसिस लिखी है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की ओर से यह दावा किया गया है कि हजारों सालों से पाणिनी के संस्कृत व्याकरण की कोई पहेली थी, जिसका समाधान नहीं निकल सका था लेकिन ऋषि ने अपने शोध में उस गुत्थी का जवाब खोज लिया है। फिर क्या था, भारत की मीडिया ने इस खबर को जबरदस्त तरीके से सुर्खियों में जगह दे दी और पाणिनी के संस्कृत व्याकरण पर चर्चा शुरू हो गयी।

सबसे पहले बात करते हैं, ऋषि के सुपरवायजर प्रोफेसर विन्केंजो वेरहिअनी की। प्रोफेसर विन्केंजो ने यूनिवर्सिटी ऑफ रोम से संस्कृत में एमए किया और बाद में इसी रोम विश्वविद्यालय से क्लासिकल और मिडिवल इंडियन स्टडीज में पीएचडी की। गौर करने वाली बात यह है कि संस्कृत की पढ़ाई के लिए उन्होंने भारत नहीं बल्कि रोम को चुना। इतना जरुर है कि लगभग एक साल उन्होंने पांडिचेरी स्थित फ्रेंच स्कूल ऑफ एशियन स्टडीज में भी पढ़ाया, जिसके बाद वे कैम्ब्रिज से जुड़ गए।


 

पाणिनी जैसे मस्तिष्क वाला दूसरा नहीं

राजपोपट ने कहा, पाणिनी के पास अद्भुत मस्तिष्क था। मानव इतिहास में उनके जैसे मस्तिष्क वाला व्यक्ति होने का दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। उन्होंने कुछ भी नया करने की नीयत से नहीं किया। उन्होंने वही किया जो उनके मस्तिष्क का स्तर था। उसी का नतीजा था कि वह दुनिया को ऐसी निधि दे गए जो हजारों साल बाद भी उतनी ही बहुमूल्य है जितनी उनके समय में थी।

समूची मानव जाति को होगा लाभ
कैंब्रिज विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर ¨वसेन्जो वर्जियानी ने कहा, मेरे शिष्य ऋषि ने हजारों साल की अनसुलझी गुत्थी को सुलझाया है। उसने असामान्य कार्य किया है। समूची मानव जाति को इसका लाभ होगा। इससे संस्कृत भाषा के मूल तत्वों को समझने में मदद मिलेगी। संस्कृत ही नहीं मानव सभ्यता का विकास होगा। राजपोपट ने प्रोफेसर वर्जियानी के निर्देशन में शोध कार्य किया है।

सबसे पहले बात करते हैं, ऋषि के सुपरवायजर प्रोफेसर विन्केंजो वेरहिअनी की। प्रोफेसर विन्केंजो ने यूनिवर्सिटी ऑफ रोम से संस्कृत में एमए किया और बाद में इसी रोम विश्वविद्यालय से क्लासिकल और मिडिवल इंडियन स्टडीज में पीएचडी की। गौर करने वाली बात यह है कि संस्कृत की पढ़ाई के लिए उन्होंने भारत नहीं बल्कि रोम को चुना। इतना जरुर है कि लगभग एक साल उन्होंने पांडिचेरी स्थित फ्रेंच स्कूल ऑफ एशियन स्टडीज में भी पढ़ाया, जिसके बाद वे कैम्ब्रिज से जुड़ गए।