Adipurush movie review : फैंस को बेसब्री से था इंतजार, आदिपुरुष रिलीज होते ही जय श्री राम का लगा नारा, भव्यता के साथ पेश की गयी श्री राम की महागाथा
जिस घड़ी का फैंस को बेसब्री से इंतजार था, आखिर वो पल आ ही गया. आदिपुरुष सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. मूवी को लेकर काफी वक्त से हाईप बना हुआ था, तमाम कंट्रोवर्सीज हुईं, लेकिन कहते हैं ना अंत भला तो सब भला. फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर रिएक्शंस आने लगे हैं. यकीन मानें, पब्लिक ओपिनियन के बारे में जानकर आपका दिल खुश हो जाएगा. अगर अभी तक आपने मूवी टिकट बुक नहीं की है, तो फिल्म की तारीफ सुनने के बाद आप तुरंत आदिपुरुष को देखने का प्लान बनाने वाले हैं.
राम की पारंपरिक छवि नहीं
सिनेमाई छूट के सहारे पौराणिक कथाएं कहने का इतिहास भारत में भी सिनेमा जितना ही पुराना है। पहली राम कथा जब परदे पर उतरी तो राम और सीता दोनों के किरदार एक ही कलाकार ने निभाए। राम की सौम्यता की झलक वहीं से निकली। तेलुगू में बनी रामकथा में राम मूंछों के साथ नजर आए और अब तेलुगू के तथाकथित सुपर सितारे प्रभास जब अपनी नई फिल्म के साथ सिनेमाघरों तक पहुंचे हैं तो वह मूंछों वाले राम ही बने हैं। राम को जिस दिन राजा बनना था, उसका मुहूर्त नक्षत्रों की गणनाएं करके ही निकाला गया। गुरु वशिष्ठ जैसे ज्ञानी ने ये मुहूर्त निकाला लेकिन वही मुहूर्त राजा दशरथ के मरण और राम के वनवास का कारण बना। राम कथा ऐसी ही छोटी छोटी अनुभूतियों की कहानी है।
कहानी
रामाचारित मानस से प्रेरित इस फिल्म में राम के वनवास और अयोध्या वापसी तक के भाग को दिखाया गया है. कहानी की शुरुआत में दशरथ और कैकयी के संवाद से शुरू होती है, जहां राम, सीता और लक्ष्मण अपना राजपाठ छोड़ वनवास के लिए निकलते हैं. इसी बीच सूर्पनखा की नाक काटने के प्रतिशोध में लंकापति रावण सीता हरण के लिए एक साधू के रूप में जंगल आकर उन्हें धोखे से ले जाते हैं. इधर राम और लक्ष्मण सीता की खोज में सबरी, हनुमान और सुग्रीव से मिलकर रामसेतु का निर्माण करते हैं और लंका से सीता को वापस लाने में लग जाते हैं.
डिस्क्लेमर के साथ शुरू हुई फिल्म, कहा अपमान का कोई इरादा नहीं है. कहानी शुरू होती है राम सिया राम गाने से. इस गाने में ही चित्रों के माध्यम से विष्णु के राम जन्म से लेकर सीता का स्वयंवर और राम के वनवास की कहानी बयां की गई है. गाना खत्म होते ही नजर आता है रावण, जो बर्फीले चट्टानों के बीच तपस्या कर रहा है. मांगने पर भी अमरता का वरदान न देने वाले ब्रह्मा रावण से प्रसन्न होकर उसे ये वरदान दे देते हैं कि देव या दानव के हाथों तुम्हारी मृत्यु नहीं होगी. भगवान ब्रह्मा की चतुराई से अनजान रावण वरदान मिलते ही उन्मत दैत्य में परिवर्तित हो जाता है.
जिस घड़ी का फैंस को बेसब्री से इंतजार था, आखिर वो पल आ ही गया. आदिपुरुष सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. मूवी को लेकर काफी वक्त से हाईप बना हुआ था, तमाम कंट्रोवर्सीज हुईं, लेकिन कहते हैं ना अंत भला तो सब भला. फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर रिएक्शंस आने लगे हैं. यकीन मानें, पब्लिक ओपिनियन के बारे में जानकर आपका दिल खुश हो जाएगा. अगर अभी तक आपने मूवी टिकट बुक नहीं की है, तो फिल्म की तारीफ सुनने के बाद आप तुरंत आदिपुरुष को देखने का प्लान बनाने वाले हैं.
राम की पारंपरिक छवि नहीं
सिनेमाई छूट के सहारे पौराणिक कथाएं कहने का इतिहास भारत में भी सिनेमा जितना ही पुराना है। पहली राम कथा जब परदे पर उतरी तो राम और सीता दोनों के किरदार एक ही कलाकार ने निभाए। राम की सौम्यता की झलक वहीं से निकली। तेलुगू में बनी रामकथा में राम मूंछों के साथ नजर आए और अब तेलुगू के तथाकथित सुपर सितारे प्रभास जब अपनी नई फिल्म के साथ सिनेमाघरों तक पहुंचे हैं तो वह मूंछों वाले राम ही बने हैं। राम को जिस दिन राजा बनना था, उसका मुहूर्त नक्षत्रों की गणनाएं करके ही निकाला गया। गुरु वशिष्ठ जैसे ज्ञानी ने ये मुहूर्त निकाला लेकिन वही मुहूर्त राजा दशरथ के मरण और राम के वनवास का कारण बना। राम कथा ऐसी ही छोटी छोटी अनुभूतियों की कहानी है।
कैसी है फिल्म
शुरुआत में फिल्म कुछ खास नहीं लगती. आप फिल्म से जुड़ते नहीं हैं लेकिन हनुमान जी की एंट्री के साथ फिल्म थोड़ी सी कनेक्ट करती है लेकिन इतनी नहीं जितनी आप रामायण सीरियल से कनेक्ट कर पाए थे. कोई भी किरदार आपसे उस तरह से नहीं जुड़ पाता जैसी आप उम्मीद करते हैं और खराब वीएफएक्स फिल्म का मजा और खराब कर देते हैं. अगर इतने करोड़ खर्च करके ऐसे ग्राफिक्स बने हैं तो हैरानी होती है कि रामानंद सागर ने उस दौर में कैसे इतने कमाल के ग्राफिक्स बना डाले थे. कुछ डायलॉग जिस तरह से बोले गए हैं वो आपको हैरान कर देते हैं. फिल्म में आस्था वाला एंगल ही गायब कर दिया गया है. युद्ध के सीन ऐसे लग रहे हैं जैसे zombies लड़ रहे हों. यहां शायद हॉलीवुड टच देने की कोशिश की गई है लेकिन बॉलीवुड टच ही गायब हो गया है. आपको पूरी फिल्म में बस श्रीराम का नाम सुनना अच्छा लगता है और कुछ नहीं.कैसी है फिल्म