10%, 20% या 40% जानिए फोन को चार्ज में कब लगाएं, फिर कभी नहीं करेंगे दोबारा गलती

Know when to charge your phone at 10%, 20% or 40%, you will never make the mistake again

 
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 फोन पुराना होने के साथ-साथ थोड़ा स्लो होने लगता है, और इसकी बैटरी के साथ भी जल्दी-जल्दी खत्म होने की दिक्कत शुरू होने लगती है। कई बार ऐसी परेशानी फोन खरीदने के कुछ दिनों में भी होने लगती है। 

 

 

उस समय हम सोचते हैं कि शायद हमने फोन सेलेक्ट करने में गलती कर दी है, और फोन ही अच्छा नहीं है।

मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा हमारी ही कुछ गलतियों की वजह से होता है।  जी, ये बात एकदम सही है कि फोन का जल्दी डिस्चार्ज होना और इस्तेमाल करते हुए बैटरी का जल्दी ड्रेन होना यूजर की ही गलती के चलते होता है।

हमारे आसपास कई ऐसे लोग हैं, जो फोन को बहुत जल्दी-जल्दी चार्जिंग पर लगा देते हैं. बैटरी का कम होना उन्हें बहुत अखरता है। वे चाहतें कि उनके फोन की बैटरी हमेशा 90 फीसदी या उसके आसपास रहे।

 उदाहरण के तौर पर किसी ने 30 मिनट फोन यूज़ किया, 10% कम हुई तो 15 मिनट के लिए चार्ज करके फिर से 100% चार्ज कर लिया। ये सिलसिला दिनभर चलता रहता है। और यही नहीं करना चाहिए।

आमतौर पर, एक मॉडर्न फोन बैटरी (लिथियम-आयन) की उम्र 2-3 साल होती है, जो कि मैन्युफैक्चरर द्वारा रेट किए गए लगभग 300-500 चार्ज साइकिल के साथ आती है। उसके बाद, बैटरी की क्षमता लगभग 20% कम हो जाती है।

अब सवाल ये है कि फोन बैटरी परसेंट कितना रह जाए, कि उसे चार्जिंग पर लगा दें? जवाब है- प्लग इन करने से पहले बैटरी को लगभग 20% तक डिस्चार्ज होने दें. लगातार और अनावश्यक रिचार्ज बैटरी के लाइफ को कम करते हैं।

ऑप्टिमाइज़ बैटरी लाइफ के लिए, आपका फोन कभी भी 20 प्रतिशत से कम या 80 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। जब आपके स्मार्टफोन की बैटरी 100 प्रतिशत चार्ज हो जाती है तो यह आपके बहुत सुकून दे सकता है।

लेकिन यह वास्तव में बैटरी के लिए ठीक नहीं है। लिथियम-आयन बैटरी को पूरी तरह से चार्ज होना पसंद नहीं है और न ही फुल चार्ज होकर गर्म होना पसंद करती हैं।

इसके अलावा बैटरी को पूरी तरह से ड्रेन होने से बचाएं यानी कि बैटरी को चार्ज करने के लिए पूरे 0% तक खत्म होने का इंतज़ार न करें। अपने फोन को 0% तक पहुंचने देना इसकी बैटरी की हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि हर बार यह अपने लिथियम-आयन सेल पर बचे साइकल की संख्या को कम कर देता है। साइकल की संख्या जितनी कम होगी, वह उतनी ही कम मात्रा में चार्ज होल्ड कर पाएगा और बैटरी का जीवन भी उतना ही कम होगा।