कौन हैं चमत्कारों और आश्चर्यों से भरे देवरहा बाबा, आइये जानते हैं देवरहा बाबा की कहानी

Who is Devraha Baba full of miracles and surprises, let's know the story of Devraha Baba

 
Who is Devraha Baba full of miracles and surprises, let's know the story of Devraha Baba

भारत यूंही नहीं ऋषि-मुनियों का देश रहा है। यहां संतों की भक्ति की शक्ति का एहसास लोगों को प्राचीन काल से ही है। भारत में ऐसे कई संत हुए हैं, जिन्हें दिव्य संत कहा गया है। आज हम आपको एक ऐसे दिव्य संत, सिद्ध पुरुष, कर्मयोगी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका आशीर्वाद पाने के लिए देश-दुनिया के लोग उनके आश्रम पर आते थे। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के चमत्कारी देवरहा बाबा की।

 

देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष व कर्मठ योगी थे। देवरहा बाबा ने कभी अपनी उम्र, तप, शक्ति व सिद्धि के बारे में कोई दावा नहीं किया। वे बिना पूछे ही सबकुछ जान लेते थे। आइए देवरहा बाबा के बारे में खास बात जानते हैं।

 

 

बिना पूछे ही सबकुछ जान लेते थे बाबा

देवरहा बाबा ने अपना पूरा जीवन सहज, सरल और सादे तरीके से व्यतीत किया। उनके अनुयायियों का मानना है कि बाबा का बिना पूछे हर किसी के बारे में जान लेना उनकी साधना की शक्ति थी। देवरहा बाबा के पास ज्ञान का खजाना था। उनके चमत्कारों की अनेक कहानियां हैं। यही वजह है कि उनका दर्शन करने के लिए देश-दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज भी उनके पास आते थे। बाबा सरयू नदी के किनारे स्थित अपने आश्रम में बने मचान से भक्तों को दर्शन देते थे।

 

इस वजह से बाबा का नाम पड़ा था 'देवरहा बाबा'

 देवरहा बाबा यूपी के 'नाथ' नदौली ग्राम, लार रोड, देवरिया जिले के रहने वाले थे। देवरिया जिले के होने के कारण ही उनका नाम देवरहा बाबा पड़ा। आयु, योग, ध्यान और आशीर्वाद, वरदान देने की क्षमता के कारण लोग उन्हें सिद्ध संत कहते थे।

देवरहा बाबा का जन्म अज्ञात है। उनके अनुयायियों का मानना है कि बाबा 250 से 500 वर्ष तक जिंदा रहे। मंगलवार, संवत 2047 की योगिनी एकादशी तदनुसार, 19 जून 1990 के दिन अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा की चमत्कारी शक्ति के बारे में तरह-तरह की बातें कही जाती हैं।

ऐसी थी बाबा की वेशभूषा

 देवरहा बाबा की दुबली-पतली शरीर, लंबी जटा, कंधे पर यज्ञोपवीत व कमर में मृगछाला ही पहचान थी। देवरहा बाबा का दर्शन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं मदन मोहन मालवीय, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव सहित विदेश के भी अनेकों लोगों ने उनके पास शीश नवाया है।

सन 1911 में जॉर्ज पंचम भी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम आए थे। कहा जाता है कि बरसात के दिनों में सरयू नदी की बाढ़ का पानी उनके मचान को छुने के बाद घटने लगती थी।

पैर के अंगुठे से आशीर्वाद देते थे देवरहा बाबा

 देवरहा बाबा अपने मचान से श्रद्धालुओं को पैर के अंगूठा से आशीर्वाद देते थे। बाबा से आशीर्वाद लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी प्रसन्न हो जाती थीं।

जल पर चलते थे बाबा

 पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा से भक्तों का विश्वास है कि वे जल पर चलते थे, उन्हें प्लविनि सिद्धि प्राप्त थी। बाबा ने किसी भी गंतव्य स्थल पर पहुंचने के लिए कभी सवारी नहीं की। वे हर साल माघ मेले में प्रयागराज जाते थे। यमुना किनारे वृंदावन में बाबा आधे घंटे तक बिना सांस लिए ही पानी में रह लेने थे।

बाबा ने ही कांग्रेस को दिया था पंजा का निशान

देश में आपातकाल के बाद 1977 में चुनाव हुआ तो इंदिरा गांधी बुरी तरह हार गईं। तब इंदिरा गांधी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम पहुंचीं। बताया जाता है कि उस दौरान बाबा ने इंदिरा गांधी को हाथ का पंजा उठाकर आशीर्वाद दिया था।

जिसके बाद से ही इंदिरा गांधी ने पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा कर दिया। पंजा निशान पर ही 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की और वे देश की प्रधानमंत्री बनीं।