Makar Sankranti 2024 kab hai: 14 जनवरी या 15 जनवरी, कब मनेगी मकर संक्रांति? यहां दूर कर लें अपना कंफ्यूजन

महाभारत में सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक भीष्म भी थे। पांडव और कौरवों के युद्ध में पितामह ने कौरव यानी दुर्योधन की ओर से युद्ध किया था। भीष्म पितामाह पूर्वजन्म में एक वसु थे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और महाभारत के जानकार पं. मनीष शर्मा से जानिए भीष्म पितामह से जुड़ी खास बातें...
महाभारत के आदि पर्व में लिखा है कि वसुओं को भी देवता माना गया है। एक बार पृथु और अन्य वसु अपनी पत्नियों के साथ मेरु पर्वत पर घूम रहे थे। इसी पर्वत पर वशिष्ठ ऋषि का आश्रम भी था।
एक वसु की पत्नी ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में बंधी नंदिनी गाय को देखा तो उसने अपने पति द्यौ नामक वसु से वह गाय मांगी।
पत्नी की बात मानकर द्यौ ने अपने भाइयों के साथ वशिष्ठ मुनि को बताए बिना उस गाय को ले आया। जब महर्षि वशिष्ठ अपने आश्रम आए तो उन्हें अपनी गाय नहीं देखी तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से जान लिया कि वसु ने उनकी गाय की चोरी की है। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने वसुओं को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दे दिया।
शाप से डरकर सभी वसु ऋषि वशिष्ठ से क्षमा मांगने आए तो ऋषि ने कहा कि तुम सभी वसुओं को तो शीघ्र ही मनुष्य जीवन से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन इस द्यौ नामक के वसु को अपने कर्म भोगने के लिए बहुत दिनों तक पृथ्वीलोक में रहना पड़ेगा और आजीवन ब्रह्मचारी के रूप में जीवन बिताना होगा।
बाद यही द्यौ नाम के वसु ने गंगापुत्र भीष्म के रूप में जन्म लिया था। शाप के प्रभाव से भीष्म ब्रह्मचारी रहे और लंबे समय तक पृथ्वी पर रहे।
मकर संक्रांति पर कर सकते हैं ये शुभ काम
संक्रांति पर सूर्य पूजा करें। इस दिन जरूरतमंद लोगों को काले तिल, गुड़, कपड़े, जूते-चप्पल, अनाज और धन का दान करना चाहिए। गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।