BHU का पूर्व छात्र अमेरिका में बना चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, अमेरिकी फंड से भारतीय बीमारियों पर कर रहा रिसर्च

 
BHU का पूर्व छात्र अमेरिका में बना चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, अमेरिकी फंड से भारतीय बीमारियों पर कर रहा रिसर्च

2013 में BHU से BSc-AG कर चुके अभिनव एक अमेरिकी कंपनी में अमेरिकी सरकार के फंड पर इंडिया में फैलने वाले वायरस पर रिसर्च कर रहे हैं। यह कंपनी अमेरिका में काफी बड़े स्तर पर इंसेक्ट्स द्वारा फैलने वाले रोगों पर काम करती है। अब यहां भारत के वायरल डिजीज पर काम शुरू हुआ है।

 

 

 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के पूर्व छात्र डॉ. अभिनव मौर्या को एक अमेरिकी मल्टी नेशनल कंपनी एपेक्स बेट टेक्नोलॉजी का CTO यानी कि चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर नियुक्त किया गया है।

 

BHU का पूर्व छात्र अमेरिका में बना चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, अमेरिकी फंड से भारतीय बीमारियों पर कर रहा रिसर्च

डॉ. अभिनव बताते हैं कि वह वेक्टर डिजीज का तोड़ निकाल रहे हैं, यानी कि एक जीव से इंसान या किसी दूसरे जीव में ट्रांसमिट होने वाले रोग। जैसे कि मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, वेस्ट नाइल, लंपी आदि वायरस का तोड़ इस कंपनी में रहकर निकाल रहे हैं। 

डॉ.अभिनव का कहना है कि इस कंपनी में इंडिया में तबाही मचाने वाले वायरस पर हर तरीके से स्टडी की जा रही है। ये बीमारियां जड़ से खत्म हो जाएं, इस पर काम किया जा रहा है। उनकी टीम में 100 से ज्यादा साइंटिस्ट हैं।

अमेरिका स्थित एपेक्स बेट टेक्नोलॉजी कंपनी का लैब।

अमेरिका स्थित एपेक्स बेट टेक्नोलॉजी कंपनी का लैब।

3 साल में पूरा होगा रिसर्च
अभिनव ने कहा कि अगले 3 साल में यह रिसर्च पूरा हो जाएगा। इसके बाद सरकार के सहयोग से भारत में इन बीमारियों के बवाव से जुड़े निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। अमेरिकी कंपनियां भारत में डिजीज कंट्रोल की रूपरेखा तैयार करेंगी।

जौनपुर से BHU आए थे BSc करने
डॉ. अभिनव मौर्य जौनपुर स्थित समसपुर गांव के निवासी हैं। उनके पिता अवधेश मौर्य जौनपुर में अधिवक्ता और गायत्री देवी गृहिणी हैं, डॉ. मौर्य ने BHU के कृषि विज्ञान संस्थान से (2009-13) BSc-AG का कोर्स किया था।

वह डॉ. राधाकृष्णन हॉस्टल में रहते थे। BHU के बाद IIM-अहमदाबाद से MBA करने लगे। उसी दौरान अमेरिका यूनिवर्सिटी ऑफ नॉदर्न कोलरेडो में रिसर्च फेलोशिप मिल गई। वह भारत से अमेरिका चले गए, वहां पर PhD पूरी की।