क्या आप जानते हैं? काशी में है 12 ज्योतिर्लिंग और 151 शिवलिंग...यहाँ हर गली और कोना का है अलग-अलग महत्व

Do you know? There are 12 Jyotirlingas and 151 Shivlings in Kashi… Here every street and corner has different importance
 
क्या आप जानते हैं? काशी में है 12 ज्योतिर्लिंग और 151 शिवलिंग...यहाँ हर गली और कोना का है अलग-अलग महत्व

 

वाराणसी। भोलेनाथ के भक्त बाबा के पवित्र महीना सावन का उत्साहपूर्वक एक साल के इंतजार में रहते हैं। जिसके तैयारियां कुछ महीनों पहले ही शुरू हो जाती है। और जैसे ही सावन आता है पूरा शिवालय भक्तों के हर हर महादेव और बोल बम के नारों से गूंज उठता है।

 

सभी शिव मंदिरों में इस कदर भीड़ रहती है कि कहीं भी तिल डालने की जगह नहीं रहती है। खासकर सावन के हर सोमवार को मंदिरों के बाहर दर्शनार्थियों की अच्‍छी-खासी लाइन लग रही है।

 

शिव भक्‍त देश के 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन के लिए दूर दूर से पहुंच रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा महत्व काशी के ज्योर्तिलिंग बाबा विश्वनाथ का है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से भक्तों को बारहों ज्योर्तिलिंगों के दर्शन का फल मिल जाता है। यही नहीं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि काशी में बारहों ज्‍योतिर्लिंग स्थापित है।

 

 

 

ज्‍योतिर्लिंग क्‍या होता है

ज्‍योतिर्लिंग अथार्थ स्वयं शिव का रूप साक्षात शिव... हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में 12 ज्योतिर्लिंग हैं। जोकि भारत के अलग-अलग दिव्यस्थानों के साथ ही 12 ज्योतिर्लिंग काशी में भी विराजमान हैं।

काशी में ही सोमनाथ से लेकर केदारनाथ, बैजनाथ से लेकर मल्लिकार्जुन महादेव के मंदिर स्‍थापित हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने उन भक्तों के लिए यहां 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन दिया जो अलग-अलग स्थानों पर जाकर दर्शन करने में असमर्थ हैं।

 

 

 

ज्योतिर्लिंग क्यों प्रसिद्ध है?

एक पूर्ण दीर्घवृताकार को लिंग कहते हैं। पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ऊपर ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं। यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। 

 

 

शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है?

ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं जबकि शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित और स्वयंभू दोनों हो सकते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है। जहां-जहां ये शिव ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, आज वहां भव्य शिव मंदिर बने हुए हैं।

 

 

ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

हिंदू मान्यता के अनुसार ज्योतिर्लिंग कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि इन सभी 12 जगहों पर भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए थे, तब जाकर वहां ये ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए। बता दें, ज्योतिर्लिंग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है 'रोशनी का प्रतीक'। 

 

 

ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से क्या होता है?

इसलिए देश में भगवान शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है और इनके दर्शन करने वाला सबसे सौभाग्यशाली होता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग भागों में स्थित हैं। इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन और पूजन भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप व कष्ट दूर हो जाते हैं।

33 करोड़ देवी-देवताओं का है वास

काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रमुख अर्चक पं. श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि महादेव ने इस नगरी को अखिल ब्रह्मांड के रूप में बसाया है। यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। काशी एक मात्र ऐसी नगरी है, जहां नौ गौरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं।

आपको बता दे की भगवान शिव यहां 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में स्वयंभू और गणेश के हाथों स्थापित हुए। इन मंदिरों का इतिहास इतना प्राचीन है कि वर्णित रूप से मिलना मुश्किल है। वहीं, वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. कामेश्वर उपाध्याय बताते हैं कि काशी खंड में ज्योतिर्लिंगों का वर्णन मिलता है।

जानिए वाराणसी/ काशी /बनारस में कहां स्‍थापित हैं 12 ज्योतिर्लिंग

1. सोमनाथ महादेव मंदिर, मानमंदिर घाट

काशी में स्थित यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में काठियावाड़ के प्रभास क्षेत्र में स्थित सोमनाथ की प्रतिकृति है जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी खण्ड के अनुसार वाराणसी में सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग मान मंदिर घाट के समीप स्थित है।  शिव महापुराण में सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग के महात्म्य एवं उनके प्राकट्य के संबंध में यह कथा वर्णित है। ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ का पूजन करने से शिवजी उपासक के क्षय तथा कुष्ठ आदि रोगों का नाश कर देते हैं। देवताओं ने वहाँ पर एक सोमकुण्ड की स्थापना की है। यदि कोई निरन्तर छ: माह तक इस कुण्ड में स्नान करता है, तो उसके क्षय आदि असाध्य रोग नष्ट हो जाते है तथा जो दस सोमनाथ लिंग का दर्शन पूजन करता है, वह सब पापों से मुक्त होकर अन्त में शिवलोक को प्राप्त करता है।

काशी में स्थित यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में काठियावाड़ के प्रभास क्षेत्र में स्थित सोमनाथ की प्रतिकृति है जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी खण्ड के अनुसार वाराणसी में सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग मान मंदिर घाट के समीप स्थित है।

शिव महापुराण में सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग के महात्म्य एवं उनके प्राकट्य के संबंध में यह कथा वर्णित है। ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ का पूजन करने से शिवजी उपासक के क्षय तथा कुष्ठ आदि रोगों का नाश कर देते हैं।

. सोमनाथ महादेव मंदिर, मनमंदिर घाट। वाराणसी


 

देवताओं ने वहाँ पर एक सोमकुण्ड की स्थापना की है। यदि कोई निरन्तर छ: माह तक इस कुण्ड में स्नान करता है, तो उसके क्षय आदि असाध्य रोग नष्ट हो जाते है तथा जो दस सोमनाथ लिंग का दर्शन पूजन करता है, वह सब पापों से मुक्त होकर अन्त में शिवलोक को प्राप्त करता है।

2. मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर, शिवपुरा मोहल्ला सिगरा

Mallikarjuna Mahadev Mandir in Varanasi, Book Prasad Online from Mallikarjuna  Mahadev Temple Varanasi

वाराणसी में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश के कृष्ण नगर जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। आन्ध्र प्रदेश में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग “दक्षिण के कैलाश” नाम से भी विख्यात है।

काशीखण्ड के अनुसार वाराणसी में स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग त्रिपुरांतकेश्वर (सिगरा क्षेत्र में टीले ) पर स्थित है।

3. महाकालेश्वर महादेव मंदिर, मध्य्मेस्वर मोहल्ला महामृत्युंजय मंदिर

Mahamrityunjay Mahadev Mandir I Mysterious Dhanvantari Well I Kashi I  Avagat I EP 02 - YouTube

महा मृत्युंजय मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है, जो नगाँव, असम, भारत में स्थित है। यह मंदिर अपने स्थापत्य की दृष्टि से विशेष है क्योंकि यह एक शिवलिंग के रूप में बना है। यह 126 फुट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है।

इस विशेषता ने इसे अद्वितीय और भक्तों के लिए बहुत आकर्षक बना दिया है।  काशीखण्ड के अनुसार वाराणसी में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मैदागिन क्षेत्र में महामृत्युंजय महादेव मन्दिर परिसर में स्थित है।


वाराणसी में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के तट पर उज्जैन नामक नगरी में विराजमान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। शिव महापुराण में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य एवं महात्म्य के संबंध में कथा वर्णित है।

शिव महापुराण के अनुसार महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से स्वप्न में भी कोई दुखः नहीं होता,जिस कामना से श्रद्धालु महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है उसका मनोरथ पूर्ण हो जाता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

4. ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, पठानी टोला मच्छोदरी

Omkareshwar Mahadev Temple - One of the 5 Lingas in Kashi

पठानी टोला, मछोदरी में स्थित इस मंदिर में वैशाख शुक्ल चतुर्दशी की वार्षिक पूजा और श्रृंगार किया जाता है। काशी खंड में इसका नाम नादेश्वर और कपिलेश्वर भी है।


5. बैजनाथ महादेव मंदिर, बैजनत्था क्षेत्र

वाराणसी में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखण्ड में संथाल परगना में पूर्व रेलवे के जसीडीह स्टेशन के पास स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। काशीखण्ड के अनुसार वाराणसी में स्थित वैद्यनाथ कमच्छा क्षेत्र में बैजनत्था नाम से प्रसिद्ध है।

शिव महापुराण में वैद्यनाथेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य एवं महात्म्य के संबंध में यह कथा वर्णित है कि जब महाभिमानी राक्षसराज रावण कैलाश पर्वत जाकर भगवान शिव की आराधना करके भी शिवजी को प्रसन्न करने में असमर्थ रहा तब उसने बलिदान-पूर्वक अपना शीश काटकर भगवान शिवजी को प्रसन्न करना चाहा, परिणामतः प्रसन्न होकर साक्षात भगवान शिव उसके समक्ष प्रकट हुए तथा शिवजी ने रावण के सिर को पूर्ववत् पूर्ण कर दिया।

साथ ही उसे अतुल बल देकर सभी मनोरथ प्रदान किये। शिवजी को प्रसन्न हुआ जान रावण ने उनसे यह प्रार्थना की “हे प्रभो ! मैं आप को अपनी नगरी लंका में ले जाना चाहता हूँ। मुझ भक्त की यह प्रार्थना स्वीकार कीजिये।“


6. भीमाशंकर महादेव मंदिर, काशी करवत मंदिर नेपाली खपड़ा

वाराणसी में स्थित भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे क्षेत्र में सह्य पर्वत पर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। काशीखण्ड के अनुसार वाराणसी में स्थित भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग काशी करवट मंदिर में स्थापित है।


7. रामेश्वर महादेव मंदिर, मानमंदिर घाट

वाराणसी में स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में समुद्र के तट पर स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है। शिव महापुराण के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग को त्रेता युग में भगवान् राम ने स्थापित किया था। काशी खण्ड के अनुसार वाराणसी में मंदिर का स्थान मान मंदिर मोहल्ले में स्थित है।

मान मंदिर घाट जितना सौंदर्यपूर्ण है उतना ही विशाल भी। दशाश्वमेध घाट के उत्तर में स्थित, इसे भगवान सोमेश्वर (भगवान शिव का दूसरा रूप) के लिंगम के बाद सोमेश्वर घाट के नाम से भी जाना जाता है, जो यहां पाया जाता है।

 इस घाट का निर्माण आमेर के महाराजा मान सिंह ने 1600 ईस्वी में करवाया था, इसके पास ही एक शानदार महल भी स्थित है। यह महल अपनी अलंकृत खिड़की की नक्काशी और अन्य शानदार विशेषताओं के साथ अपने आप में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।

मान मंदिर घाट में कई हिंदू मंदिर भी हैं जिनमें रामेश्वर मंदिर, स्थूलदंत विनायक मंदिर और सोमेश्वर मंदिर शामिल हैं। शाम और सुबह के समय घाट का सौंदर्य अलग ही हो जाता है। आगंतुकों को आराम करते और घाट के दृश्यों का आनंद लेते देखा जा सकता है।


8. नागेश्वर महादेव मंदिर, पटनी टोला भोसलेघाट

भोंसले घाट के अस्तित्व का इतिहास जानिए- घाट से जुड़े पुराने लोग और इतिहासकार मानते हैं के सत्रहवीं सदी के आखिर में महाराष्ट्र के नागपुर क्षेत्र के के भोंसले महाराजा की ओर से काशी की महत्ता को नमन करते हुए पक्का घाट एवं यहां महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत और स्थापत्य कला के तौर पर महल का निर्माण कराया था।

इससे पूर्व मान्यता है कि घाट को नागेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता था। मगर इसके जीर्णोद्धार के बाद भोंसले घाट के नाम से ही इसकी पहचान सर्वमान्य हो गई। घाट पर ही भगवान शिव को समर्पित प्राचीन नागेश्वर नाथ मंदिर है जिसको काशी के द्वादश ज्योतिर्लिगों में भी प्रमुख स्थान दिया गया है। 


9. श्री काशी विश्वनाथ नाथ मंदिर

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काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर  पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगस में से एक है, जो शिवमेटल के सबसे पवित्र हैं।

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मुख्य देवता विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के शासक है। वाराणसी शहर को काशी भी कहा जाता है। इसलिए मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है।

10. त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर, बासफाटक

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। वाराणसी में त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग को बड़ादेव मोहल्ले के पुरुषोत्तम मंदिर में त्रिलोकनाथ नाम से भी जाना जाता है जो नासिक के त्र्यम्बकेश्वर मंदिर की एक प्रतिकृति है।

शिव महापुराण में सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग के महात्म्य एवं प्राकट्य के संबंध में कथा वर्णित है।


11. केदार जी, केदारघाट

Kedar Ghat — description, location, photos | Planet of Hotels

कॆदार घाट गंगा किनारे एक बहुत ही रमणीक घाट है। यह घाट विजयानगरम घाट कॆ साथ मॆ है। इसकॆ समीप मॆ चौकी घाट पर शीतल जलधारा निकलती है।  इस घाट पर बाबा केदार नाथ के साथ-साथ माता पार्वती लिंग स्वरूप में विराजमान हैं ।

एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा मान्धाता नित्य शंकर भगवान की पूजा अर्चना करते एवं दान इत्यादि के उपरान्त भोजन करते थे। एक दिन इनके मन में विचार आया, कि शरीर कमजोर हो रहा है पूजा अर्चना भी ठीक तरह से नहीं हो रहा है, तो आप (केदार नाथ) ही कोई उपाय करें।

कुछ समय के उपरान्त राजा मान्धाता मकर संक्रान्ति के दिन शंकर भगवान की पूजा अर्चना के लिये तत्पर होकर पूजन के बाद खिचङी का भोग के दो भाग (शंकर एवं पार्वती )कर दिये, इतने में कोई ब्राम्हण आकर भिक्षा की याचना करने लगा।


 

राजा ब॒।म्हण को भिक्षा देने लिये उसके पिछे गया, आकर क्या देखता है, जो भोग के रूप में खिचङी रखा था, वह एक लिंग रूप में परिवर्तित हो गया है, उसी समय से बाबा केदार नाथ को खिचङिया महादेव भी माना जाता है।

जिस समय औरंगजेब काशी के मंदिरों पर हमला कर रहा था, तो बाबा केदार नाथ भी मंदिर भी इससे अछूता नहीं रहा। मंदिर में पहुँच कर उसने नंदी पर तलवार से हमला किया, जिसके निशान आज भी नंदी पर मौजूद है, परन्तु उसी समय मंदिर के भीतर से भौरों के विशाल झुंड ने औरंगजेब को वापस हटने के लिये मजबूर कर दिया।

बाद में यही औरंगजेब ने कहा था, कि इस मंदिर में कोई बहुत पहुँचा हुआ फकीर रहता है,और उसने एक पीतल का ढाई मन घंटा दान में दिया,जो आज भी मंदिर के उपरी भाग मे मौजूद है। गौरी-केदारेश्वर मंदिर में पूजार्चन ऐवं मंदिर प्रबंधन का कार्य दक्षिण भारतीय कुमार स्वामी मठ द्वारा किया जाता है। कुमार स्वामी मठ में बाबा केदार नाथ जी के लिऐ नित्य खिचडी भोग के लिऐ बनाये जाते हैं।


12. घृणेश्वर महादेव मंदिर ,कमच्छा मंदिर के अंदर

12. घृणेश्वर महादेव मंदिर ,कमच्छा मंदिर के अंदर

काशी में स्थित घृष्ष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के अंतर्गत दौलताबाद स्टेशन से 12 मील दूर बेरूल गांव के समीप स्थित घृष्ष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति है जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी खण्ड के अनुसार वाराणसी में घृष्ष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग बटुक भैरव के निकट स्थित है।