अब BHU में निजीकरण! BHU Hospital में खून की जांच करेगी निजी कंपनी, अमृत फार्मेसी के ऊपर बन रहा लैब
Privatization in BHU now! Private company will test blood in BHU Hospital, lab being built above Amrit Pharmacy
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में खून की जांच अब निजी कंपनी करेगी।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो कैलाश कुमार ने खून, यूरिन आदि की जांच के लिए स्थापित सेंटर फॉर क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन (सीसीआई) के संचालन की जिम्मेदारी लखनऊ की कंपनी पीओसीटी सर्विसेज ट्रांसपोर्ट नगर को दे दी है।
इसे तत्काल प्रभावी बनाया गया है। अब निजी कंपनी के लिए लैब तैयार किया जा रहा है। चिकित्सा अधीक्षक के इस फैसले का अंदर खाने डॉक्टर ही विरोध कर रहे हैं। मामले की जानकारी कुलपति और आईएमएस निदेशक तक को नहीं है।
सर सुंदरलाल अस्पताल की ओपीडी में वाराणसी, पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों के साथ ही बिहार, झारखंड से करीब पांच हजार लोग इलाज कराने आते हैं। इमरजेंसी और वार्डों में भर्ती मरीज भी होते हैं। इनमें से करीब 500 लोगों की रोजाना खून, यूरिन, पेट व सीने में पानी भरने आदि की जांच सीसीआई लैब में होती है।
लैब का संचालन 24 घंटे होता है। इससे मरीज व उनके तीमारदारों को बड़ी राहत मिलती है। डॉक्टर जब भी खून या कोई अन्य जांच लिखते हैं, मरीज व तीमारदार आसानी से पहुंच जाते हैं। अब लैब का निजीकरण कर दिया गया है। इससे डॉक्टरों के साथ ही मरीज व उनके तीमारदार भी परेशान हैं।
उनका कहना है कि सीसीआई लैब के निजीकरण का फैसला पहली बार हुआ है। इसके दूरगामी असर देखने को मिल सकते हैं। भले ही अभी दरें बढ़ाने का कोई निर्णय नहीं हुआ, लेकिन भविष्य में ऐसा संभव है। निजी कंपनियां अपना मुनाफा देखती हैं।
उन्हें आम जनता की सहूलियत से कोई मतलब नहीं होता है। बीएचयू में जरूरतमंद मरीज ही आते हैं। इस फैसले से अच्छा संदेश नहीं जाएगा।
चिकित्सा अधीक्षक ने एक मार्च 2023 को लैब के निजीकरण का जो फैसला किया है, उसकी कॉपी बीएचयू के कुलपति तक को नहीं भेजी गई है। जिस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईएमएस) की देखरेख में सर सुंदरलाल अस्पताल का संचालन होता है।
उसके निदेशक को भी लैब के निजीकरण की जानकारी नहीं है। एक मार्च को जारी आदेश की कॉपी निदेशक काे भी नहीं भेजी गई है। चिकित्सा अधीक्षक ने अपने पीएस को यह कॉपी मार्क की है।
चिकित्सा अधीक्षक ने लखनऊ की कंपनी पीओसीटी सर्विसेज को जो पत्र लिखा है, उसमें 25 जनवरी 2023 के एग्रीमेंट का हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया कि अमृत फार्मेसी के ऊपरी तल पर निजी कंपनी को जांच केंद्र के लिए जगह दी गई है।
हैंडओवर की प्रक्रिया तत्काल पूरी कराई जाए। साथ ही जल्द ही लैब संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए।
बीएचयू अस्पताल में संचालित हो रहे सीसीआई लैब में सीनियर व जूनियर रेजिडेंट प्रशिक्षण भी लेते हैं। आईएमएस के नियमानुसार,पैथालॉजी विभाग के रेजिडेंट हर दिन आते हैं। वह सैंपल कलेक्शन व उसकी जांच की बारीकी सीखते हैं। यह उनके मेडिकल की पढ़ाई का एक हिस्सा होता है।
नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की गाइडलाइन में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ऐसे संस्थान जहां परास्नातक कोर्स का संचालन होता है, वहां लैब और रेडियोलॉजी से जुड़ी सुविधाओं की आउटसोर्सिंग नहीं की जा सकती है। इसके संचालन की अनुमति या स्वीकृति नहीं दी जा सकती है।
36 पेज की गाइडलाइन के पेज नंबर 12 पर इसका जिक्र भी है। अब सवाल उठता है कि एनएमसी की गाइडलाइन को दरकिनार करके कैसे बीएचयू की सीसीआई लैब के संचालन की जिम्मेदारी निजी कंपनी को देने का फैसला कर लिया गया।
सीसीआई लैब के संचालन की व्यवस्था निजी एजेंसी को कैसे, क्यों, किसने और कब दिया, इसकी जानकारी नहीं है। अगर ऐसा कोई आदेश हुआ है तो इसकी कॉपी मेरे पास नहीं है। - प्रो एसके सिंह, निदेशक आईएमएस