Varanasi News: वाराणसी में जगन्नाथ जी के रथयात्रा से शुरू हुआ 221 साल पुराना लक्खा मेला, 3 दिन उमड़ेंगे लाखों भक्त

काशी में लक्खा मेले की शुरुआत हो चुकी है। पहला रथयात्रा का मेला आज से शुरू हो गया है। शाम 4 बजे तक रथयात्रा स्थित बेनी के बगीचे में भव्य मेले का आयोजन होगा, जो कि अगले 3 दिन तक चलेगा।
आज 20 जून से शुरू हो रही है. हर साल ये यात्रा बहुत धूमधाम से निकाली जाती है. रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ तीन अलग-अलग विशाल रथ पर सवार होकर अपने धाम से गुंडिचा मंदिर जाते हैं. इस रथ यात्रा में दूर-दूर से आए भक्त शामिल होते हैं.
क्या होता है लक्खा मेला
काशी में कहावत है 'सात वार नौ त्यौहार', यानी सप्ताह में दिन तो 7 ही होते हैं, मगर उनमें 9 त्योहार पड़ते हैं। बनारस मस्ती और आनंद वाला नगर माना जाता है। इसी के चलते बनारसियों ने त्योहारों की शुरुआत कराई। वाराणसी में आषाढ़ से कार्तिक महीने के बीच कई पारंपरिक मेलों का आयोजन होता है।
1802 में शुरू हुए रथयात्रा मेले का यह 221वां वर्ष है। जगन्नाथ पुरी को छोड़कर आए मुख्य पुजारी तेजोनिधि ब्रह्मचारी ने 1790 में काशी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया। इसके 12 साल बाद रथ यात्रा मेले की शुरुआत कराई थी। आगे चलकर यहीं पर उन्होंने समाधि भी ले ली थी। जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 1790 में कराया गया था।
इन सभी रथों की पहचान रंग के आधार पर की जाती है. तालध्वज का रंग रंग लाल और हरा होता है. दर्पदलन काले और लाल या फिर नीले और लाल रंग का होता है और नंदीघोष का रंग लाल और पीला होता है. सबसे ऊंचा नंदीघोष रथ है. इसकी ऊंचाई 45.6 फीट, इसके बाद बलरामजी का तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है.