Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti-Parakram Diwas 2023: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर क्यों मनाया जाता हैं 'पराक्रम दिवस'?

Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti-Parakram Diwas 2023: Why is 'Parakram Diwas' celebrated on the birth anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose?

 
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti-Parakram Diwas 2023: Why is 'Parakram Diwas' celebrated on the birth anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर हम उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में जानते हैं।

netaji subhash chandra bose - parakram diwas 2023: सुभाष चंद्र बोस देश के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं, जिनसे अंग्रेज कांपते थे।  उन्होंने देशवासियों को कई संदेश दिए, जो देशवासियों को हमेशा प्रेरित करते हैं। आज पूरा देश उनकी 126वीं जयंती मना रहा है। उनके सकारात्मक संदेश आपके मुश्किल दौर में हौसला बढ़ा सकते हैं।

  नेताती का जन्म 23 जनवरी 1897 हो हुआ था। बता दें, भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। 

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने 23 जनवरी साल 2021 में नेताजी की जन्म जयंती पर अपने स्टेटमेंट में इस बात को कहा था कि साल 2022 से इस दिन को पराक्रम दिवस के तहत ही सेलिब्रेट किया जाएगा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर हम उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में जानते हैं।

 

अंग्रेजों के समय में पास की थी सिविल सर्विस की परीक्षा 

महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। इनके पिता की नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोल कटक के मशहूर वकील थे। सुभाष चंद्र बोस की प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई थी।

इसके बाद उनकी आगे की शिक्षा कलकत्ता के प्रेजिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई। इसके बाद उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी की। बता थे कि आपको जानकर हैरानी होगी उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था।

गांधी जी को राष्ट्रपिता का संबोधन

1921 में भारत में उठती आजादी की मांग को देखते हुए वे भारत लौट आए तो क्रांग्रेस के साथ जुड़ गए। सुभाष चंद्र ने सबसे पहले गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर बुलाया था।

ऑस्ट्रियन लड़की से की थी शादी

बोस का मानना था कि अंग्रेजो को हराने के लिए उनके दुश्मनों का साथ लेना बेहद जरूरी है। उनके इन सभी विचारों की भनक अंग्रेजी हुकुमत को लग गई इसके बाद उन्हें कलकत्ता में नजरबंद कर लिया गया।

लेकिन यहां ये सुभाष चंद्र बोस भाग निकले और सोवियत संघ होते हुए वे जर्मनी पहुंच गए। सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन लड़की से शादी की। बोस की एक बेटी भी है इनका नाम अनिता बोस है, वे अभी जर्मनी में ही रहती हैं।

रानी झांसी रेजिमेंट का गठन

नेतीजी हिटलर से मिले। नेता जी ने 1943 में जर्मनी छोड़ी और जापान होते हुए सिंगापुर पहुंचे। यहां उन्होंने कैप्टन मोहन सिंह द्वारा स्थापित आजाद हिंद फौज की कमान अपने हाथों में ली।

उन्होंने आजाद हिंद फौज को ताकतवर बनाया। नेता जी ने महिलाओं के लिए रानी झांसी रेजिमेंट का गठन किया जिसकी कैप्टन लक्ष्मी सहगल को बनाया। नेताजी अपनी फौज के साथ 1944 में बर्मी पहुंचे। यहीं पर उन्होंने अपना फेमस नारा दिया कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

नेता जी की मौत

18 अगस्त 1945 को टोक्यो जाते समय नेता जी के प्लेन क्रैश हो गया। लेकिन उनका शव बरामद नहीं हुआ। जिस कारण उनकी मौत का कारण काफी विवाद में रहा। और उनकी मौत को लेकर तरह-तरह चर्चाएं होती रहीं। कुछ लोगों ने उनके जिंदा होने तक का दावा कर दिया। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि उसी प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो गई थी।