Varanasi Gyanwapi Mandir: ऐसा था बाबा विश्वनाथ का प्राचीन मंदिर, जिसको औरंगजेब ने तुड़वाकर बनाया है मस्जिद, देखे पूरा वीडियो... 

Varanasi Gyanwapi Mandir: Such was the ancient temple of Baba Vishwanath, which Aurangzeb demolished and built a mosque
 
 
मंदिर का मॉडल बनाने में इतिहासकार आरपी सिंह का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जिनके पास ज्ञानवापी से जुड़ी तमाम पुरानी तस्वीरें और अन्य चीजें मौजूद हैं। देखे पूरा वीडियो... 

 

वाराणसी: प्राचीन मंदिर का मॉडल बनाया गया है। यह मॉडल हिंदू पक्ष के वादी महिलाओं और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर विष्णु शंकर जैन द्वारा साथ मिलकर तैयार किया गया है। मंदिर के शिखर पर त्रिशूल और ओम की आकृति स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है। इस मंदिर का मॉडल 1669 के पहले के आदि विशेश्वर मंदिर के रूप में बताया जा रहा है।

 

इस मंदिर के मॉडल में मंदिर की लंबाई और चौड़ाई 128 फीट है और ऊंचाई 128 फीट है। इसमें आठ छोटे शिखर और बीच में एक बड़ा शिखर बनाया गया है। मंदिर से तहखाने की दूरी सात फीट है।

यह मॉडल मंदिर की भव्यता और सुंदरता को प्रतिष्ठित करता है और हिंदू पक्ष द्वारा आने वाले दिनों में मंदिर के निर्माण की योजना को प्रकट करने के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन रहा है।

हालांकि, ज्ञानवापी परिसर में मिले सिर्फ शिवलिंग नुमा आकृति की ASI सर्वे की इजाजत ही मिली है, हिंदू पक्ष अब पूरे परिसर के सर्वे की मांग कर रहा है। वाराणसी में हिंदू पक्ष ने अदालती लड़ाई भी लड़ी है और साथ ही मंदिर निर्माण की तैयारी भी तेज कर दी है।

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मंदिर का मॉडल बनाने में इतिहासकार आरपी सिंह का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जिनके पास ज्ञानवापी से जुड़ी तमाम पुरानी तस्वीरें और अन्य चीजें मौजूद हैं। यह मॉडल प्राचीनता और धार्मिक महत्व को संकल्पित करता है और उम्मीद है कि यह एक प्रेरणा स्रोत के रूप में सेवा करेगा और आने वाले दिनों में मंदिर के निर्माण को संभव बनाए रखेगा।

ज्ञानवापी विवाद हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच एक मामला है जो भारत में सामाजिक और धार्मिक विवाद का कारण बना हुआ है। इस विवाद के मध्य काशी विश्वनाथ मंदिर का मस्जिद बनाए जाने का आरोप है।

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हिंदू पक्ष दावा करता है कि साल 1669 में मुग़ल शासक औरंगज़ेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा और उसी स्थान पर एक मस्जिद बनवाई गई। वे यह भी दावा करते हैं कि ज्ञानवापी मंदिर के अंदर हिंदू देवी-देवताओं के साक्ष्य मौजूद हैं और वहां भगवान विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भी है।


 


 

1991 में सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा, और हरिहर पांडे ने अदालत में याचिका दायर की थी और कहा गया था कि मस्जिद में मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल हुआ है। हिंदू पक्ष मांग कर रहा है कि मस्जिद को हटाकर ज्ञानवापी परिसर को हिंदू समुदाय को वापस दिया जाए। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का खंडन किया है और अदालतों में इसकी प्रतियां करता रहा है।

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ज्ञानवापी परिसर में एक सर्वे में परिसर के अंदर कथित शिवलिंग की मौजूदगी का खुलासा हुआ था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इसे एक फव्वारा बताया था। बाद में अदालत ने उस इलाके को बंद करने का आदेश दिया था।

इस शिवलिंग की सच्चाई का पता लगाने के लिए मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है और इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे का आदेश दिया है, लेकिन इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जा रही है।

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